भाव
-----
रोक लो-
शब्द.
सब,
अर्थहीन .
सीमाहीन
शक्ति-
उस पार.
तक रही
आँखें,
इस द्वार -
शक्तिहीन.
ढूँढ लो,
साथी -
पंक्तिहीन
पंखहीन.
यह पल -
यह भाव -
सिर्फ भेदहीन
संपर्क विहीन....
-----
रोक लो-
शब्द.
सब,
अर्थहीन .
सीमाहीन
शक्ति-
उस पार.
तक रही
आँखें,
इस द्वार -
शक्तिहीन.
ढूँढ लो,
साथी -
पंक्तिहीन
पंखहीन.
यह पल -
यह भाव -
सिर्फ भेदहीन
संपर्क विहीन....
vicharon ki udan shakti heen ho kar bhi samarth ko dekh rahi hai..kavita ki takat ban rahi hai...bahut sunder rachna hai..Anil ji
ReplyDelete