Friday, May 3, 2013

दूब की पत्ती


पत्ती - एक दूब की

रात भर बोझल,

बूंद एक - ओस से

तरसती रही - सूरज की,

हल्की एक किरण

रात ढल - छ्लका सवेरा

हल्का बोझ, दूब का हुआ

चढ़ा दिन - हुई दुपहरी

अब झुलस रही-

पत्ती वही दूब की

No comments:

Post a Comment