वो जो दीया सहारे का, सजा रखा था तुम्हारा
वक़्त की आंधी ने, जाने कब बुझा दिया.
जब जुदा हुआ मुझसे, वादा था लौटने का
गुजरा हर लम्हा ऐसा, यादें तक धुंधली कर गया.
वो जो पाया दिल ने, देख दूर से झलक उसकी
इतराता नसीब अपना, ऐसा दीदार- ए- यार किसने पाया.
वो जो खोया, ख्वाबों में जाने किस रकीब के
शिकवा रहा खुदा से, सब पाकर उसे खोया.
वो जो लौटा , खिजा में बहारें सौगात थी
पूछता फिर रहा सब से, वो फिर क्यों आया.
Sunday, October 16, 2011
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