उम्र एक
बीत जाती
जिन्दगी को हराने में.
पर दूर हो जाता ,
एक पल में
सदियों का अन्धकार
दीप एक जलाने से .
कैसे घेर सकता
उजाले को अन्धकार ?
कैसे घुल सकता
प्रेम में विष घृणा का ?
विरले ही जान पाए
क्यों छीन लिया किसीसे
पल में बचपन
तो किसी से
जीवन भर का साथ
अब तक है
यह प्रश्न-
अधूरा, अछूत .
Sunday, October 30, 2011
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